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Uttarakhand Villages पलायन कारण व निवारण

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देव भूमि उत्तराखंड में आज "पलायन" एक विकट समस्या बन चुकी है । आज यहाँ की भौगोलिक संरचना,  शांतिपूर्ण   शुद्ध वातावरण,आधुनिक जीवनशैली व दृष्टिकोण में अनाकर्षक प्रतीत होने लगा है । पूर्व में भी उत्तराखंडी गाँववासी आर्थिक खुशहाली के लिए परदेश जाते थे और ऐसा लगभग सम्पूर्ण भारत की प्रचलित प्रथा थी, किन्तु उसके उपरांत सभी अपने मूल स्थान को लौट आते थे । आज बदलते परिवेश व प्रदूषित विचारधारा जो विभन्न माध्यमों से हम तक पहुंचाई जा रही है ने गाँवों को तुच्छ बना दिया है । पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का " जय जवान जय किसान " आज की पीढ़ी के लिए अर्थहीन हो चुका है क्योंकि जिनके हाथों में प्रदेश बनने के बाद सत्ता रही है  क्या  वे स्वयं भी अपने गाँव में स्थित हैं? राज्य निर्माण के संघर्ष के उपरांत जो क्षेत्र "उत्तराखंड" कहलाया वहां विकास तो हुआ पर संसाधनों की अभिसप्ती कका?  पलायन व तेजी से बढता अतिक्रमण  एक तरफ जहाँ पलायन बढ़ रहा है वहीँ दूसरी और अतिक्रमण भी तेजी से पाँव फैला रहा है । क्योंकि जिस तेजी से पलायनवादी संस्कृति का विस्तार हो रहा है उसी तेजी...