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Badri Cow - Uttarakhand's Indegenous Health Wealth Happiness बद्री पहाड़ी गाय

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                                                              "वंदे धेनु मातरम्" The Red Hill Cattle or Badri is a dual-purpose ‘desi’ cattle breed – reared for milking and draught purposes. The petite Badri cow is found only in hill districts and was earlier known as the ‘pahadi’ cow. These cattle are well adapted to the hilly terrain and the climatic conditions of Uttarakhand. This sturdy and disease-resistant breed is found in hilly regions of Uttarakhand. The Badri cow is considered auspicious and is also used for religious purposes. Disease resistance is a very important characteristic of this breed as it rarely gets any disease. It remains healthy throughout life, as these cattle are fed on pure vegetation and live in natural and fresh, pollution-free condition of the hilly areas of Uttarakhand. Badri breed is the f...

अशांत मन, अशांत बुद्धि व शांति मंत्र का जाप

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अशांत मन, अशांत बुद्धि व शांति मंत्र  का अजपा -जप  धन्य है वह देवभूमि व राष्ट्र जहाँ स्वधर्म का ज्ञान व संस्कृति  के  तालों में आज भी सुरक्षित है, #पलायन केवल बुद्धि का हुआ है जो यहाँ की शांतिपूर्ण वातावरण में  आज भी परिलक्षित होता है  । अक्ल व नक्ल का भेद न समझने वाली संस्कृति व शिक्षानीति को अंत:करण में धारण कर विकसित कहलाने की धारणा ने हमारी आँखों पर पट्टी बांध दी है हम उपयोगिता को भूल कर अनुपयोगी के पीछे चल पड़े थे जो #२०१४ में रुका, अन्यथा आज #कोरोना से परिपूर्ण इस करुणामय संसार में इतनी आशांति न होती । ॐ द्यौ:  शान्ति: अन्तरिक्षं ॐ शान्ति: पृथिवी: शान्ति: आप: शान्ति: औषधय: शान्तिं: वनस्पतंय: शान्ति:  विश्वेंदेवा: शान्ति:  ब्रह्म शान्ति: सर्व ॐ शांति:  शान्तिरेव शांति: सा मा शान्तिरेधि ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥ सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी , सच है दुनिया वालों हम हैं  अनाड़ी     http://ow.ly/h5nU50OftCR

Uttarakhand Villages पलायन कारण व निवारण

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देव भूमि उत्तराखंड में आज "पलायन" एक विकट समस्या बन चुकी है । आज यहाँ की भौगोलिक संरचना,  शांतिपूर्ण   शुद्ध वातावरण,आधुनिक जीवनशैली व दृष्टिकोण में अनाकर्षक प्रतीत होने लगा है । पूर्व में भी उत्तराखंडी गाँववासी आर्थिक खुशहाली के लिए परदेश जाते थे और ऐसा लगभग सम्पूर्ण भारत की प्रचलित प्रथा थी, किन्तु उसके उपरांत सभी अपने मूल स्थान को लौट आते थे । आज बदलते परिवेश व प्रदूषित विचारधारा जो विभन्न माध्यमों से हम तक पहुंचाई जा रही है ने गाँवों को तुच्छ बना दिया है । पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का " जय जवान जय किसान " आज की पीढ़ी के लिए अर्थहीन हो चुका है क्योंकि जिनके हाथों में प्रदेश बनने के बाद सत्ता रही है  क्या  वे स्वयं भी अपने गाँव में स्थित हैं? राज्य निर्माण के संघर्ष के उपरांत जो क्षेत्र "उत्तराखंड" कहलाया वहां विकास तो हुआ पर संसाधनों की अभिसप्ती कका?  पलायन व तेजी से बढता अतिक्रमण  एक तरफ जहाँ पलायन बढ़ रहा है वहीँ दूसरी और अतिक्रमण भी तेजी से पाँव फैला रहा है । क्योंकि जिस तेजी से पलायनवादी संस्कृति का विस्तार हो रहा है उसी तेजी...