उत्तराखंड राज्य निर्माण संघर्ष का उद्देश्य व वर्तमान लाभार्थी

उत्तराखंड राज्य निर्माण हेतु संघर्ष का उद्देश्य मूलतः यहाँ की संस्कृति व संस्कारों के अनुरूप विकास के प्रयासों को बल दे शिक्षा व रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि की चाह थी इसके लिए जो आन्दोलन हुआ वो १९९० से २००० के बीच अपनी पराकाष्ट पर पहुँच चुका था। इस काल-खण्ड के विद्यार्थी व युवा जो भावनात्मक रूप से इसके उद्देश्यों से सहमत थे वे तन व मन से इससे जुड़े व इस जुडाव से उत्पन्न लाभ-हानि को भी अंगीकृत

जैसा कि हर क्षेत्र में होता है "कुछ केवल कमाते हैं, कुछ केवल खाते हैं व कुछेक इन दोनों में भी संतुलन बना पाते हैं", इस आन्दोलन में हुए संघर्ष में भी कुछ लोग भविष्य को ध्यान रख चल रहे थे व कुछ के केवल वर्तमान तक सीमित थे। २ अक्टूबर १९९४ में हुए मुज्जफरनगर कांड में हुई भारी हिंसा ने कानून-व्यवस्था के संरक्षक लोकतंत्र से लिप्त भ्रष्टाचार की उपस्थिति को दर्शाया

देवभूमि उत्तराखंड के निर्माण हेतु मुलभुत परिस्थियों का निर्माण अब आवश्यक था, जीवन में सभी अपनी दृष्टि व शक्ति के अनुरूप आचरण व जीवनशैली/व्यवसाय का चयन करते हैं। जिनको आसपास के वातावरण व निजी जीवन में समानता दिखती है वे उनके विस्तार व सुधार हेतु व्यक्तिगत रूप से भी प्रयासरत रहते हैं

जब केंद्र में श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में बहुमत वाली भाजपा सरकार बनी तो २००० में तत्कालीन "उत्तरांचल" राज्य का निर्माण हुआ

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