संदेश

उत्तराखंड राज्य निर्माण संघर्ष का उद्देश्य व वर्तमान लाभार्थी

चित्र
उत्तराखंड राज्य निर्माण हेतु संघर्ष का उद्देश्य मूलतः यहाँ की संस्कृति व संस्कारों के अनुरूप विकास के प्रयासों को बल दे शिक्षा व रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि की चाह थी ।  इसके लिए जो आन्दोलन हुआ वो १९९० से २००० के बीच अपनी पराकाष्ट पर पहुँच चुका था । इस काल-खण्ड के विद्यार्थी व युवा जो भावनात्मक रूप से इसके उद्देश्यों से सहमत थे वे तन व मन से इससे जुड़े व इस जुडाव से उत्पन्न लाभ-हानि को भी अंगीकृत । जैसा कि हर क्षेत्र में होता है "कुछ केवल कमाते हैं, कुछ केवल खाते हैं व कुछेक इन दोनों में भी संतुलन बना पाते हैं", इस आन्दोलन में हुए संघर्ष में भी कुछ लोग भविष्य को ध्यान रख चल रहे थे व कुछ के केवल वर्तमान तक सीमित थे । २ अक्टूबर १९९४ में हुए मुज्जफरनगर कांड में हुई भारी हिंसा ने कानून-व्यवस्था के संरक्षक लोकतंत्र से लिप्त भ्रष्टाचार की उपस्थिति को दर्शाया । देवभूमि उत्तराखंड के निर्माण हेतु मुलभुत परिस्थियों का निर्माण अब आवश्यक था, जीवन में सभी अपनी दृष्टि व शक्ति के अनुरूप आचरण व जीवनशैली/व्यवसाय का चयन करते हैं । जिनको आसपास के वातावरण व निजी जीवन में समानता दिखती है वे उनक...

Natural Farming plus Traditional Cow Rearing Boon for Uttarakhand

चित्र
 प्राकृतिक खेती किसानों के लिए क्यों जरूरी है? Zero Budget Natural Farming is a promising tool to minimize the dependence of farmers on purchased inputs, and reduces the cost of agriculture by relying on traditional field based technologies which lead to improved soil health. Desi cow , its dung and urine play an important role from which various inputs are made on the farm and provide necessary nutrients to soil. Other traditional practices such mulching the soil with biomass or keeping the soil covered with green cover round the year, even in the very low water availability situations, ensure sustained productivity even from the first year of adoption. Prime Minister Narendra Modi addressed farmers at the National Conclave on Natural Farming through a video conference. He stressed this is the right time to take big steps before the problems related to agriculture become even worse. “We have to take our agriculture out of the lab of chemistry and connect it to the lab of nature....

Badri Cow - Uttarakhand's Indegenous Health Wealth Happiness बद्री पहाड़ी गाय

चित्र
                                                              "वंदे धेनु मातरम्" The Red Hill Cattle or Badri is a dual-purpose ‘desi’ cattle breed – reared for milking and draught purposes. The petite Badri cow is found only in hill districts and was earlier known as the ‘pahadi’ cow. These cattle are well adapted to the hilly terrain and the climatic conditions of Uttarakhand. This sturdy and disease-resistant breed is found in hilly regions of Uttarakhand. The Badri cow is considered auspicious and is also used for religious purposes. Disease resistance is a very important characteristic of this breed as it rarely gets any disease. It remains healthy throughout life, as these cattle are fed on pure vegetation and live in natural and fresh, pollution-free condition of the hilly areas of Uttarakhand. Badri breed is the f...

अशांत मन, अशांत बुद्धि व शांति मंत्र का जाप

चित्र
अशांत मन, अशांत बुद्धि व शांति मंत्र  का अजपा -जप  धन्य है वह देवभूमि व राष्ट्र जहाँ स्वधर्म का ज्ञान व संस्कृति  के  तालों में आज भी सुरक्षित है, #पलायन केवल बुद्धि का हुआ है जो यहाँ की शांतिपूर्ण वातावरण में  आज भी परिलक्षित होता है  । अक्ल व नक्ल का भेद न समझने वाली संस्कृति व शिक्षानीति को अंत:करण में धारण कर विकसित कहलाने की धारणा ने हमारी आँखों पर पट्टी बांध दी है हम उपयोगिता को भूल कर अनुपयोगी के पीछे चल पड़े थे जो #२०१४ में रुका, अन्यथा आज #कोरोना से परिपूर्ण इस करुणामय संसार में इतनी आशांति न होती । ॐ द्यौ:  शान्ति: अन्तरिक्षं ॐ शान्ति: पृथिवी: शान्ति: आप: शान्ति: औषधय: शान्तिं: वनस्पतंय: शान्ति:  विश्वेंदेवा: शान्ति:  ब्रह्म शान्ति: सर्व ॐ शांति:  शान्तिरेव शांति: सा मा शान्तिरेधि ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥ सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी , सच है दुनिया वालों हम हैं  अनाड़ी     http://ow.ly/h5nU50OftCR

Uttarakhand Villages पलायन कारण व निवारण

चित्र
देव भूमि उत्तराखंड में आज "पलायन" एक विकट समस्या बन चुकी है । आज यहाँ की भौगोलिक संरचना,  शांतिपूर्ण   शुद्ध वातावरण,आधुनिक जीवनशैली व दृष्टिकोण में अनाकर्षक प्रतीत होने लगा है । पूर्व में भी उत्तराखंडी गाँववासी आर्थिक खुशहाली के लिए परदेश जाते थे और ऐसा लगभग सम्पूर्ण भारत की प्रचलित प्रथा थी, किन्तु उसके उपरांत सभी अपने मूल स्थान को लौट आते थे । आज बदलते परिवेश व प्रदूषित विचारधारा जो विभन्न माध्यमों से हम तक पहुंचाई जा रही है ने गाँवों को तुच्छ बना दिया है । पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का " जय जवान जय किसान " आज की पीढ़ी के लिए अर्थहीन हो चुका है क्योंकि जिनके हाथों में प्रदेश बनने के बाद सत्ता रही है  क्या  वे स्वयं भी अपने गाँव में स्थित हैं? राज्य निर्माण के संघर्ष के उपरांत जो क्षेत्र "उत्तराखंड" कहलाया वहां विकास तो हुआ पर संसाधनों की अभिसप्ती कका?  पलायन व तेजी से बढता अतिक्रमण  एक तरफ जहाँ पलायन बढ़ रहा है वहीँ दूसरी और अतिक्रमण भी तेजी से पाँव फैला रहा है । क्योंकि जिस तेजी से पलायनवादी संस्कृति का विस्तार हो रहा है उसी तेजी...